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त्यौहारों का संधि-विच्छेद

Badri Nath KoiriBadri Nath Koiri March 8, 2023
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काला अथवा सफ़ेद होने लगा
कैसे रंगों में मतभेद होने लगा ,

बंट गया अधिकार हर्षोल्लास का
त्यौहारों का संधि-विच्छेद होने लगा ,

किसी जश्न में न्याय शामिल नहीं होता
जबसे सत्य के दीवारों पर छेद होने लगा ,

क्षितिज का कोई स्थान अब शेष नहीं
जमीन आसमान में जो भेद होने लगा ,

अब त्यौहार को त्यौहार समझने पर
यहां बाजारों को भी खेद होने लगा ,

जमाने का चांद पर पहुंचने से क्या
सुख-दुःख तो मोबाइलों में कैद होने लगा ।

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