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बरसात या धूप से, वक्त के रंग रूप से
थक कर हारना जिंदगी तो नहीं ,
कुछ कहने के डर से, लोगो की नजर से
सपनों को मारना जिंदगी तो नहीं ।
मंजिल लिए निगाहों में, काटें भरी राहों में
खुशियों को वारना ज़िंदगी तो नहीं ,
गर्म या सर्द से, छालों के दर्द से
थक कर हारना जिंदगी तो नहीं ।
थक कर हारना जिंदगी तो नहीं ,
कुछ कहने के डर से, लोगो की नजर से
सपनों को मारना जिंदगी तो नहीं ।
मंजिल लिए निगाहों में, काटें भरी राहों में
खुशियों को वारना ज़िंदगी तो नहीं ,
गर्म या सर्द से, छालों के दर्द से
थक कर हारना जिंदगी तो नहीं ।
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