
Share0 Bookmarks 23 Reads0 Likes
लगाने को तुम पर कोई कयास तक नहीं है
बुझाने को तुम्हारे पास प्यास तक नहीं हैं ,
ना तेरे पास धूप है ना ही पानी
फिर भी जी रही वह तेरी जवानी ,
ना तू हवाएं दे सकता है ना समंदर
फिर भी वह कैसे रहती है तेरे अंदर ,
हर दुआओं में मांगे जाने वाली अरदास वही है
दिल से जो कभी ना उतरे वह विश्वास वही है ,
अब तो पूछने लगा है चांद मुझसे
वह कब हो रही है आज़ाद तुझसे,
यह बात कैसे कहूं ए चांद तुझसे
वो खुद देखती है चांद मुझमें ,
कैसे कहूं,
इस कोयले रूपी माटी की वो हीरा बन बैठी है
मैं कान्हा हो चुका हूं उसका, वह मीरा बन बैठी है ।
बुझाने को तुम्हारे पास प्यास तक नहीं हैं ,
ना तेरे पास धूप है ना ही पानी
फिर भी जी रही वह तेरी जवानी ,
ना तू हवाएं दे सकता है ना समंदर
फिर भी वह कैसे रहती है तेरे अंदर ,
हर दुआओं में मांगे जाने वाली अरदास वही है
दिल से जो कभी ना उतरे वह विश्वास वही है ,
अब तो पूछने लगा है चांद मुझसे
वह कब हो रही है आज़ाद तुझसे,
यह बात कैसे कहूं ए चांद तुझसे
वो खुद देखती है चांद मुझमें ,
कैसे कहूं,
इस कोयले रूपी माटी की वो हीरा बन बैठी है
मैं कान्हा हो चुका हूं उसका, वह मीरा बन बैठी है ।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments