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मैंढक से जन

babu635062babu635062 August 24, 2022
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ये मैंढक मिट्टी से 
ढंककर  अपने तन को 
ये टर टर की रट 
बहुत जोर की लगाते है ।

ये कुछ जन ठहर ठहर कर 
हर वर्ष अपना हर्ष बढ़ाते हैं
ये कुछ जन इसके लिए यहां 
दूसरों को चोट गहरी पहुंचाते हैं 

इनके टर टर की रट सुन
मेघ अपनी सुध बुध खोकर
अम्बर पर से यहां 
जमीं पर बरस जाते हैं ।

ये कुछ जन मन में सोच सोच कर 
अपना अहित करने लग जाते हैं
परहित करके अपना हित साधने में
ये कुछ जन बहुत हद तक गिर जाते हैं ।

मेंढक की रट सुन 
कोयल कुहकना छोड़ देती है
इनके तीखे स्वर की तीव्रता में भला 
मधुर धुन कहां सुनाई दे पाती है।

इन कुछ जन के नव करने की कल्पना
अनेक जन को मन ही मन जलाती है
इन कुछ जनों के काले कारनामों से 
पूरी मानव जाति बदनाम हो जाती है ।

मिट्टी का तन मिट्टी में मिलेगा
इस बात से मेंढक व जन अनजान हैं
इसलिए तो तीखे स्वर से 
करते रहते सबको परेशान हैं ।

कुछ क्षण की ही बात है
आज का कल में बनेगा इतिहास 
इतने में  मीठी वाणी बोलने से
किसी का कुछ भी नहीं होता नुकसान ।

मिट जाता है यह तीखा स्वर 
जब बुंदे बारिश की बरस जाती है 
जिसे पाने को तरसते हैं मेंढक 
पानी रूपी रस के पाने से मौन हो जातें हैं।

मिट जायें जन जन में भेद
जब जानें की हर जन में है महेश
क्या रमेश क्या सुरेश और क्या कमलेश
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