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हर बात में हो जाती है तेरी बात
पर तुम मुलाकात नहीं करते हो
सामने है मेरे अनेक सवाल
पर तुम जवाब नहीं देते हो
आते जाते हैं तेरे द्वारे के सामने होकर
फिर भी तुम नज़र नहीं आते हो
लग गयी है मुझे न जाने किसकी नज़र
हर ओर नजर में सिर्फ तुम ही नज़र आते हो
घर और बाहर में मेरे साथ तेरी बातें हैं
पर तेरी बातों में नहीं कहीं मेरी बातें
इन बातों में तेरी यादें है
पर तेरी यादों में है क्या कहीं मेरी कही बातें ।
इस तरह तेरे ख्यालों में मैं होता हूं
जिससे मैं रातों को सो नहीं पाता हूं
तूम हो कि चैन से सो जाते हो
पर मैं कितना बैचेन हूं यह नहीं जानते हो ।
राहों का सफर मेरा तेरे बगैर अधूरा है
तुम जब साथ नहीं तो मेरा सफ़र ही कैसा है
सफर में हमसफर सिर्फ तुम ही तो थे
तेरे बिन सफर में हमसफ़र किसी को बनाऊं कैसे।
तुम थे जब संग त
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