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जब जब तेरी बन्सी, अधरो को चूम जाती है ।
राधा रानी दौड़ी दौड़ी यमुना के तट पे आती है ।
नाचे सब ग्वाल बाल ग़इया चराते है ।
तेरी हर छवि हमको अब तड़पाती है।
अधरो पे बन्सी, सिर मोर मुकुट सजता है।
तेरे दीदार को अब हर कोई तरसता है ।
बताओ कब आओगे और कितना लम्बा रस्ता है?
मेरी हर साँस मे अब तू ह
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