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हे शिव,
सूक्ष्म कण भी तुम
ब्रह्माण्ड भी तुम
आत्मा भी तुम
परमात्मा भी तुम
साकार भी तुम
निराकार भी तुम
कल्पना भी तुम
यथार्थ भी तुम
संयोग भी तुम
वियोग भी तुम
जड़ भी तुम
चेतना भी तुम
योगी भी तुम
भोगी भी तुम
अर्धनरनारीश्वर भी तुम
कामजित भी तुम
सौम्य भी तुम
रौद्र भी तुम
आरम्भ भी तुम
अंत भी तुम&nbs
सूक्ष्म कण भी तुम
ब्रह्माण्ड भी तुम
आत्मा भी तुम
परमात्मा भी तुम
साकार भी तुम
निराकार भी तुम
कल्पना भी तुम
यथार्थ भी तुम
संयोग भी तुम
वियोग भी तुम
जड़ भी तुम
चेतना भी तुम
योगी भी तुम
भोगी भी तुम
अर्धनरनारीश्वर भी तुम
कामजित भी तुम
सौम्य भी तुम
रौद्र भी तुम
आरम्भ भी तुम
अंत भी तुम&nbs
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