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किस्सों से कहानी बना सकूं
ऐसे गहरे अलफ़ाज दे तु।
ग़म तो बरसते हैं बिन मौसम ही
इस बार हंसी की बरसात दे तु।
छोड़ गये हैं कई ख़ास यार
अब किसी अज़नबी का हाथ दे तु।
वज़ीर,रानी सब हार बैठा अज़हर
अब चला प्यादा और मात दे तु।
~अज़हर
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