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मैं एक नारी हूँ।

AZAD MADREAZAD MADRE March 20, 2023
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मुझसे ही इस सृष्टि का निर्माण हुआ है,

मैं ना कभी हारूँगी, मैं ना कभी हारी हूँ।


मेरे वजुद से कायम है दुनिया का वजूद,

मैं कोई भोगवस्तु नही हूँ मैं एक नारी हूँ।


कितने कारनामे है मेरे कितने मुझसे हारे है,

आ जाऊं मैदान में तो मैं सौ पे भी भारी हूँ।


कभी पुलिस हूँ मैं तो कभी मैं खिलाड़ी हूँ,

अगर राजनीति करूँ तो मैं सत्ताधारी हूँ।


मोम सी फितरत है ममता की मूरत हूँ मैं,

क्रोध अगर आ जाए तो एक चिंगारी हूँ।


कई है रूप मेरे हर रिश्ता आज़माती हूँ,

मृदु स्वभाव मेरा मत समझना बेचारी हूँ।



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