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आदतें तर्क करने की मेरे आदत लगी पीछे,
जबसे ये हाल बदला मेरे ग़ुरबत लगी पीछे।
मैं कैसे भटका ये तो याद नही रहा है मगर,
मैं अच्छा था बहोत मेरे मोहब्ब्त लगी पीछे।
थका हारा चलता ही रहा दीवानों की तरह,
मैं रुका नही जबसे मेरे ज़रूरत लगी पीछे।
वो कुछ कर नही पाया जो मुझे करना था,
मैं जब मैं नही रहा मेरे शोहरत लगी पीछे।
सोचने समझने की ज़हनियत भी छीन ली,
कुछ इसतरह से भी मेरे हसरत लगी पीछे।
हसरत ए यार का आज़ाद ये हरबार होना,
जैसे कि मानो कोई मेरे सूरत लगी पीछे।
~आज़ाद
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