
Share0 Bookmarks 184 Reads1 Likes
एक लड़की ऐसी है जो बचपन में बड़ी हो गयी,
शोर से इस रोज़मर्रा में अनसुनी सी ध्वनि हो गयी |
हल्के फुल्के कंधों पे उत्तरदायित्व से सनी हो गयी,
भागते से जीवन में रुकी सी खड़ी हो गयी |
सिलवटों से छुटपन में क्षण में घड़ी हो गयी,
कभी हंसी में बहती एक अश्रु की बूंद, मल्हार सी लड़ी हो गयी,
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments