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जब याद आयी बीते पल की ,नैनों से निकलने लगे पानी।
वक़्त मानो थम सा गया हो याद कर वो बीती कहानी।।
खुरेद के रख दिये सारे बिताये कुछ हसीन लम्हें।
वो बिताये कुछ अनकही खट्टी मीठी मस्ती भरी यादें।।
घर के देहरी पर बैठ कर गिनते थे तारे और निहारते थे चाँद।
बचपन में सब संग खेलते मैं भूला ना पाया अब भी वो शाम।।
अब तो यादें साथ है घर वही हैं पर लोग बिछड़ गए।
गांव छोड़ कर सब नाम बनाने शहर की और बढ़ गए।।
वो सब याद कर के मुस्कान चेहरे पर और दिल में मायूसी सी होती हैं।
वो लम्हे तो बित जाते हैं पर यादें हमेशा हमारे साथ चलती हैं।।
कभी लगता कि वक्त क्यूँ ना थम गया उस हसीन कल पर।
तो कभी कुछ नये लम्हे को भी जिया जाए उनका हिस्सा बन कर।।
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