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छोड़ कर आज, जो जाने लगे हो
मन कहीं और , बहलाने लगे हो|
मन में कोई चोर, तो हर्गिस नहीं है
फिर भी हर बात पे,घबराने लगे हो|
अब तेरा नाम तक लेते नहीं है
फिर भी ख्वाबों में तुम आने लगे हो|
जब से तेरी बाँह पर सर
मन कहीं और , बहलाने लगे हो|
मन में कोई चोर, तो हर्गिस नहीं है
फिर भी हर बात पे,घबराने लगे हो|
अब तेरा नाम तक लेते नहीं है
फिर भी ख्वाबों में तुम आने लगे हो|
जब से तेरी बाँह पर सर
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