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बहुत तुम याद आते हो/हिंदी कविता/आयुष कुमार कृष्ण

Ayush Kumar KrishnaAyush Kumar Krishna August 1, 2022
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जब चाँद झांकता है छत से, बारिस जब मुझे भिगाती है
जब ठंडी ठंडी पुरवाई, कानों में कुछ कह जाती है
जब निपट अकेली रातों में, हम खुद से लग कर रोते हैं
जब सारी दुनिया सोती है, और हम ही जगते होते हैं
जब कोयल की कूहू कूहू में, राग पनप सा जाता है
जब घड़ी की बजती सुइयों से, तन मन विचल

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