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थका मुसाफिर कड़ी धूप में
घनेरी छांव तुम हो
लौटना चाहूँ हर बार जहाँ
वो गाँव तुम हो
राही हूँ, पर राह भूला हुआ
मेरी दिशा तुम हो
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थका मुसाफिर कड़ी धूप में
घनेरी छांव तुम हो
लौटना चाहूँ हर बार जहाँ
वो गाँव तुम हो
राही हूँ, पर राह भूला हुआ
मेरी दिशा तुम हो
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