
इंतजार लिए मुलाक़ात को,
वो मोहब्बत मेरी, तेरे दीदार को।
रुक जाए वो पल, जब मेरी नजर हो तुझ पर।
नीहारता ही रहूं तुझे, आ बैठ जा मेरे पास आकर।
बात करती रहे तू, कुछ न कुछ कहती रहे तू।
मैं सिर्फ तुझे सुनना चाहता हूं,
तेरे कहे हर एक लब्ज़ को, खुद में भरना चाहता हूं।
वो नूर तेरे चहरे का, मदहोश किए जा रहा।
संभालू कैसे खुद को अब,
मैं तो धीरे धीरे तेरा बनते ही जा रहा।
मेरे बारे में अभी कुछ न पूछ तू,
फ़िलहाल खुदका सब कुछ भूल चुका हूं।
जुबां खुली अगर और कुछ लब्ज़ निकले तो,
वो सिर्फ़ तेरा ही जिक्र मिलेगा मुझमें,
तेरी ये खुशबू तो मेरे रूह मे उतर चुकी हैं।
तू रहे ना चाहे आस पास मेरे,
तेरी मौजूदगी का हर सार तो, समाया हुआ है मुझमें।
सवारती बखूबी उन्हें वो तेरी अदाएं,
वो जो जुल्फें तेरी, तेरे चहरे पे छा जाए।
अरे ये अदाएं ही काफ़ी थी तेरी,
मुझपर सितम लाने को, तेरा दीवाने बनाने को।
फिर जो यूंही देखकर मुझे, मुस्कुराई तू,
थोड़ा कुछ ही बचा था मुझमें मेरा,
अब वो भी अपना बना गई तू।
तू मेरे सामने रह , हा बस यही रुख जा।
अब और कुछ भी नही देखना चाहता मैं।
ये सारे लम्हों को संजोना चाहता मैं।
मेरी आंखों में तस्वीर छप गई तेरी है।
वो आईना अब शक्ल मेरी लिए, तेरा ही चेहरा दिखाता है।
अब लगने लगा डर , होने लगी बेचनी।
वो जो तूने अब कल मिलते हैं, ये बात कही।
तू क्या अंजान है मेरे जज्बातों से?
या मालूम होके भी तू, यूंही नादान बन रही।
देख बहुत मुस्किल होगा, वो पल पल गुजारना,
जितने पल तू मेरे साथ न होगी ।
ये एहसास समझ ले अगर तू, मैं शायद थोड़ा और जी लूंगा ।
अगर कल मिला ही नहीं मैं तुझे, तो बता ज़िम्मेदार कौन होगा।
खैर तुझे देखे बिना तो खुदा से न मिलूंगा मैं।
और जो एक बार तुझे देख लिया, तो कैसे खुदा से मिलूंगा मैं।
शायद तू समझ जाए, मेरी ये कश्मकश सी हालातो को।
तो वो बात "अब कल मिलते हैं " तू आज फिर नही कहेगी।
अब इंतज़ार मत करवाना कल का,
मैं वही बैठा हूं अभी से ही।
देख मैं रुका वहीं , खड़ा वहीं।
जहा शुरुवात मेरी, तुझ संग हुई ।
बटोर के हर एहसास को,
समेट के हर जज़्बात को।
तू बस ,
अब देरी न कर मुलाक़ात को।
आ जल्दी......मिलने मुझसे,
मेरी मोहब्बत इंतजार लिए बैठी है।
तेरे दीदार को, तेरे दीदार को।
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