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Aalok ShrivastavPoetry3 min read

अरे मेरा शिव हैं वो, मेरा शिव हैं वो।

Avish DattAvish Datt March 27, 2023
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ये सब कुछ है अस्तित्व उसका और,

वो ही समाया हर जगह हर एक में।

है बनाया और सजाया सब कुछ उसने,

आख़िर फिर विलीन भी कर लिया वो सब कुछ खुद में।

कुछ भी नहीं है उसका , मगर फिर भी सबका सब कुछ हैं वो।

अरे मेरा शिव हैं वो, मेरा शिव हैं वो।


राजा का मुकुट हैं वो, योगियों का तप भी वो।

दुखियों का सुख है वो , सुखवान का संतोष भी वो ।

पापियों का पुण्य है वो , पुण्यवान का मोक्ष भी वो।

कुछ भी नहीं है उसका , मगर फिर भी सबका सब कुछ हैं वो। 

अरे मेरा शिव हैं वो, मेरा शिव हैं वो।


प्रभु राम के आराध्य है वो, प्रभु राम के ही बने सेवक।

माँ गौरी के प्रियतम है वो, सन्यासियों को बने वैरागी ।

देवों के महादेव है वो , और असुरों के बने संजीवनी ।

किसी के कुछ नही है वो, फिर भी सबका सब कुछ हैं वो।

अरे मेरा शिव हैं वो, मेरा शिव हैं वो।


वो अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने को " आदि अंत " खोजते रहे।

छोर मिला नहीं दोनो को एक भी , फिर भी

एक बना ब्रह्मांड रचैयता तो, दूजा हुआ उसका पालनकर्ता ।

वो समस्त धरती को डूबो देती, मगर जट्टाओ में ही उलझकर

एक धार लिए भागीरथ के संग बहने लगी ।

वो एक और आया कैलाश, संग अपने ले जाने, 

मगर अंगगुठे के भार को सह न पाया, 

फिर वो रोता रोता " रावण "कहलाया।

सबको सब कुछ, सिर्फ दिया उसने, जो मांगा और जो मांगा नहीं।

कुछ नही है उसका, फिर भी सबका सब कुछ हैं वो।

अरे मेरा शिव हैं वो, मेरा शिव हैं वो।


क्या चाहिए उसको वो तो भक्ति देख कर,

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