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धूल का कण मै नहीं,
ना ही सूखा पत्ता, काग़ज
जो मंद वायु में उड़ जाए!
मै तो वह अविचल अडिग पर्वत,
जिस पर तुफाने भी फिसल जाए!!
तूफानों की बात ही क्या
गर शंभू का प्रलय आए,
तो भी मुझे विचालित करने में&n
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