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ऐ मेरे मन !

तू क्यू है उदास ,

किससे है आस ।

न कोई अपना है,

न ही है गैर,

जो मनाता हो तेरी खैर ।

तू तड़पता है ,

तो भी मुझे ही दुःख होता है ।

तू मचलता है ,

तो भी मुझे ही दुःख होता है ।

तेरी

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