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एक दिन

अचानक यूँ ही तुम्हारा ख्याल आया , कुछ अनकहे लब्ज

झाँकने लगे पलकों से , हवा में तैरते हुए से दिख रहे थे 

वो एहसास जो तुम्हारी वजह से थे , बहुत सारे एहसास तुम्हारी वजह से थे


वो भी जो आखिरी में मिलेअकेलेपन में खुद की खुद से लड़ाई में पैदा हुए 

इन सभी एहसासो से घिरा हुआ था मै

फिर खिड़की पे पैर रखे हुए , अर्धचेतन अवस्था में ही मैंने वो सिगरेट जलाई 

धीरे धीरे एहसासो के बीच में धुँआ भी तैरने लगा 

वो धुँआ उन एहसासो को डडुबाने की कोशिश रहा था । 


एक एक कश में गाढा सफ़ेद धुँआ एक झील की तरह बढ़ता था 

उस झील में मैंने देखा उस आखिरी एहसास को छटपटाते हुए

धीरे धीरे दम तोड़ते हुए 


उन मरते हुए एहसासो के सम्मोहन में तल्लीनता का तिलिस्म 

उस जलती हुयी सिगरेट की गर्मी के एहसास ने जब उंगलियो को सुलगाया तब टूटा 


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