महामारी's image
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ना पटरी पर गाड़ी थी, 
ना आकाश में विमान 
थम गयी थी ज़िंदगी 
घरों में क़ैद था इंसान 

एक सूक्ष्म से जीव ने 
रोकी थी जीवन की रफ़्तार 
धंधे चौपट, बंद व्यापार 
मचा विश्व में हाहाकार 

अर्थव्यवस्थाएँ शक्तिहीन हुईं 
और शक्तियाँ सारी अर्थहीन 
क्या धन बल और क्या सैन्य बल 
विषाणु के आगे सब क्षीण 

बंद हो गए घरों में सब 
बाहर भी ज़िन्दगी न आसान थी 
पर क्या करते जो थे बेघर 
आ गए वो सड़क पे जब सड़कें सारी सुनसान थीं

भरते थे वो पेट अपना और खजाने अपने स्वामियों के 
करके रोज मेहनत मजदूरी 
तालाबंदी की स्थिति में 
गाँव लौटने की थी मजबूरी 

हजारों लाखों जानें लेके
कुछ दिन में जाती महामारी 
पर गरीबी ऐसी बीमारी 
न होती खत्म सदियों से है जारी

कोई टीका ऐसा भी हो ईजाद 
इंसान को भूख से करे जो आजाद 
या बन जाए कोई ऐसी दवाई 
जो गरीबी से जीते लड़ाई।

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