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आजकल तेरा चेहरा बहुत सताता है
दिख रहे हर शख्स में तू ही नजर आता है |
मेरे अंदर की आग जब कभी बुझने लगती
तेरा चुम्मा हुआ जिस्म लौ बन जाता है |
तू किस तरह शराब से अलग है मेरी जां
तुझे भी छूके तो एक दो कदम नहीं चला जाता |
मेरे आंसू जब भी निकलना चाहें
उससे पहले ही तेरा फोन आ जाता है |
जब कभी लोग यह कहते खुदा दिखता नहीं
तेरा सुफेद नकाब मुझसे लिपट जाता है |
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