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"तुम ये क्यूँ कहती हो तुमसे बात में क्या रखा है
जैसे तुमने दुनिया के हर शख्स को पढ़ रखा है
एक तुम हो जो मुझसे जुदा होने की चाहत रखती हो
एक मैं हूँ जिसने इस बार तुम्हारे नाम का रोजा रखा"
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