
Share0 Bookmarks 44 Reads0 Likes
क़िताब के पन्नों सा खुलता जा रहा हूँ,
जाने किस-किस के हाँथ लगता जा रहा हूँ,
कुछ के आँखों की दीद मिल रही है,
कुछ के अधरों में घुलता जा रहा हूँ।
#क़लम✍
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments