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यही तो एक आदत नहीं पाले,
हम खड़ें हों, और कोई तस्वीर निकाले,
बिना उनके हर स्मृतियां हैं, अधूरी मेरी,
हम वही जो अपने ही जख्मों पर हैं नमक डाले।
#क़लम✍
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