गवाही's image
कितना अकेला है वो, होकर मुझसे दूर,
झूठी हँसी रखता है चेहरे पर, है मज़बूर,
मैं नहीं हूँ एकांकी, मेरे साथ मेरे शब्द होते हैं,
मेरी क़लम भी रोती

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