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था जग भर का मन ठुकराया,
खुद को खोकर तुझको पाया,
जाने क्यूँ उसने मुझे अपनाया ?
इक शाम फ़िर वो याद आया।
अपनी बातों से उसे हँसाया,
उसकी बातों ने मुझे रुलाया,
वो पल थे हसीं जो साथ तेरे बिताया,
इक शाम फ़िर वो याद आया।
बरगद की वो शीतल छाँव,
शहर से दूर है उसका गाँव,
जाने कैसे जुबां पे उनका नाम आया,
इक शाम फ़िर वो याद आया।
आँखों से बहकर दरिया उतर आया,
मुझको ही क्यूँ प्रेम का ज़रिया बनाया ?
आज त
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