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आज मैंने सुभग अल्पनाओं से आँगन सजाना सीख लिया

Anita Rana KesriAnita Rana Kesri February 28, 2022
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सुनो, आज मैंने सुभग अल्पनाओं से आँगन सजाना सीख लिया।
विश्वास के प्रदीप को, आशाओं के घृत से प्रज्जवलित करना सीख लिया।। 

तमपुंज को अब मैंने आलोकित करने की ठानी है 
घनीभूत पीड़ा को मैंने प्रफ़ुल्लिता मैं बदलने की ठानी है 
सुनो आज मैंने जीवन का अभिवादन करना सीख लिया। 
बिसरी बिखरी यादों का नवनीड बनाना सीख लिया।। 

सुनो, आज मैंने सुभग अल्पनाओं से आँगन सजाना सीख लिया...

प्रसून वाटिका से मैंने पुष्प रज चुनने की ठानी है 
सौरभ समीर से आज मैंने सुरभि चुराने की ठानी है&

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