Share0 Bookmarks 48132 Reads1 Likes
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
क्यों सिसक के , होंठ सिल के मूक बन के बैठे हो
क्यों बढ़ाकर हाथ, उनको भींच कर के बैठ हो
कंठ तक आकर तुम्हारे शब्द फिर खो गए क्या
उंगलियां हिलकर तुम्हारी, बर्फ सी हो गई क्या
अब बस हुआ, अब बस हुआ, दीदार होना चाइए
इश्क है तो....
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments