
Share0 Bookmarks 43 Reads1 Likes
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
क्यों सिसक के , होंठ सिल के मूक बन के बैठे हो
क्यों बढ़ाकर हाथ, उनको भींच कर के बैठ हो
कंठ तक आकर तुम्हारे शब्द फिर खो गए क्या
उंगलियां हिलकर तुम्हारी, बर्फ सी हो गई क्या
अब बस हुआ, अब बस हुआ, दीदार होना चाइए
इश्क है तो....
कौन सा मैंने तुमको, तुमसे कभी भी मांगा है
कौन सा मेरे लिए कोई वक्त तुम से मांगा है
तुम आए थे जब, आंखो से ही बातें कर के चल दिए
मैं बर्फ बन बस बैठी थी, तुम आए और तुम चल दिए
मेरा मन बस तुमसे जुड़ा है, मैं क्या करूं
मैं क्या करूं
और ये भी जरूरी नहीं के ये प्यार होना चाहिए
लेकिन अगर ये इश्क है इजहार होना चाहिए
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments