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जब भी तुम्हें किसी
बीज के रोपित होने से लेकर
उसके उगने तक में दिलचस्पी पैदा हो जाए..
जब किसी फटेहाल
अर्धनग्न स्त्री को
देख के तुम्हें याद आ जाए,
अपनी मां का आंचल..
जब तुम्हें किसी फूल को तोड़ने
से ज्यादा
उसको खिलते देखने में सुकून
मिलने लगे..
जब तुम्हें बेजान चीजों में भी
हलचल सी
महसूस होने लगे..
जब गल
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