बेच रहा था's image
Share0 Bookmarks 47669 Reads1 Likes


नदियों को एक न एक दिन मिल ही जाना है समंदर में

मगर वो बीच रास्ते में पहाड़ सालो से अफवाए बेच रहा था


कितनी तरक्की कर ली उस शख्स ने व्यापार में

आज वो छोटे बच्चो को बेचता है जो कभी खिलौने बेच रहा था


कौन भला सच बोला है आज तक सियासत में

मगर जूठ भी उसीका चला जो अपने मजहब को बेच रहा था


कितने खुश नज़र आते है ये गुलाब मेरे आंगन में

मगर वो शाम का वक्त छुपके छु

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts