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शौक तो होते ही है जवानी में मुहब्बत के
जिंदगी पहले से इंजताम करके जो रखती है बगावत के
ये जिस्म कुछ भी तो नहीं,लोग यूंही पीछे पड़े रहे इस बनावट के
वो लोग ही कुछ और होते है जो दीवाने होते है शराफत के
क्यूं करते जा रहे हो अपने दिल से ये गुनाह मुहब्बत के
लाले पड़ जाएंगे तुझे अपनी ही ज़मानत के
सब को मैं खुशमिजाज लगता हूं बस वही एक नज़र पहचानती है मेरी उदासी को
नखरे ये दिन म दिन कितने बढ़ रहे है मेरी तबियत के
और लोग मारने लगे है अपनी ही बस्
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