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मुख्तसर सी ज़िंदगी को क्यो किसी के नाम कर दे
June 16, 2020Share0 Bookmarks 248739 Reads0 Likes
मुख़्तसर सी जिंदगी को क्यों किसी के नाम कर दें
हर निगाहें टिक जाए हम पर आज ऐसा वो काम कर दें
बेनूर सी यह शामें है बेरंग सी है ये सहर
जो चाहे हम तो आज ही ये स्याह रातें फ़ाम कर दे
करते हैं
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