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पेड़ो को देखा झुमता,
सहसा रूका, फिर पुछा,
ये मस्ती कैसी है छाइ,
ये भी कोइ उमर है,
तुम्हे तनिक लाज ना आइ।
तुनकी बिदकी फिर गुर्राइ,
कहा, रास्ता नापो अपना,
सारी ज़न्दगी दूसरो पर लुटाइ,<
सहसा रूका, फिर पुछा,
ये मस्ती कैसी है छाइ,
ये भी कोइ उमर है,
तुम्हे तनिक लाज ना आइ।
तुनकी बिदकी फिर गुर्राइ,
कहा, रास्ता नापो अपना,
सारी ज़न्दगी दूसरो पर लुटाइ,<
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