अंजाम's image
Share0 Bookmarks 42482 Reads1 Likes
समय अपने रफ्तार से तमाम होने को है,
कुछ भी यथावत रहना नही है,
जो सुबह की चमक है बनी सी,
कह दो उससे, ढलती शाम हो रोने को है।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts