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वो बचपन की साइकिल
जिसपे सवार मेरा दिल
घण्टों सफ़र किया करते थे
क्या ख़ूब जिया करते थे
पर अब मोटरे हैं कारे हैं
फिर भी ज़िन्दगी से हारे हैं
वो साइकिल याद आती है
वो ज़िन्दगी याद आती है
_अशरफ फ़ानी
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