
Share0 Bookmarks 126 Reads2 Likes
बेशिकवा इक काली चाय के,
फीकेपन पर गुस्साना…
बेपरवा बातों के पल का,
अंजाने ही घर आना...
बेइंतहा सवालों का,
होठों से पहले गुम होना…
बेनकाब यादों का फिर से,
आंखों में चस्पा होना...
बेकाबू बढ़ती धड़कन का,
बीच-बीच में थम जाना...
बेहिसाब सर्दी में तुमसे,
उड़े इत्र का जम जाना...
बेतरतीब ख्यालों में वो,
सजा तुम्हारा इक कोना...
बेसमझी उलझी दुनिया में,
उन्गली थामे, तुम हो ना!
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments