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छोटी सी चिरैया यूँ आ फंसी पिंजर में
खुश हो उठी, समझ न पायी नई जगह को
उचक उचक कर झूम उठी
समझ न पायी नई जगह को।
मन मे उम्मीद लिए , खेल खुद के उड़ लेगी उस गगन को
कब नींद के झोंके ने आ कर
लिया बसेरा
भोर भई नयन खुले
गगन तले पिंजर में,फड़फड़ा कर
थक हार के स
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