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तब उनके पास न होने की कमी खल जाती है
रात की काली रातो में दिल जोरो से घवराता है
जब रात अँधेरी होती है गम के आंसू बहते है
घड़ियो की टिक -टिक जब आबाज सुनाई देती है
तब उनके पास न होने की कमी खल जाती है
जब मन को समझाने में माथा दुखने लगता है
जब मधुर मधुर ध्वनिया भी मन को रास न आती है
जब सोने की भरसक कोशिश करने पर भी नींद न आती है
तब उनके पास न हने की कमी खल जाती है
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