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सपनों की हकीकत
देखे थे सपने हकीक़त से वास्ता न था
देखे साकार हो ऐसा कोई रास्ता न था
दिन गुजरे प्रतीत हुआ एक पथ
जाने को जहाँ कोई रास्ता न था
साकार करने को जागी उमंगे अंतर्मन में
पर ह्रदय से उसका कोई वास्ता न था
ले दृङ संकल्प चल पड़े उसी ओर
अभी तक जहाँ कोई रास्ता न था
चलते
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