
Share0 Bookmarks 48 Reads1 Likes
राज्य नर्प गर मातम धुनि सुन न पाये
उस राज्य प्रजा मूकबधिर बन जाय
खेत मे जो भी उपजे उसको ही खाय
नर्प कह दुगनी आय वो न अपनाय
न मिले निवाला गर सरकंडे भख खाय
जो बीत रही उनपर नर्प को न बतलाय
मिले फ्री भोजन, न धुआ रहित हो जाय
पके भले सरकंडे पर निवाला मुख जाय
ड़ीजल खाद के दाम एसलिये नर्प ने बढाय
उपजे फसले बेच बिचौले ऊचे दाम पे पाय
किसलिये आंदोलन जो नर्प कानून बनाय
धुनि मातम सुन पाये आंदोलन धुनि कहाँ सुहाय
लाहडू बैल छोड़ क तुम कार मन बानांगे
अडे रहे कानून पे तुम कार से कुचले जायोगे
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments