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राज्य नर्प गर मातम धुनि सुन न पाये
उस राज्य प्रजा मूकबधिर बन जाय
खेत मे जो भी उपजे उसको ही खाय
नर्प कह दुगनी आय वो न अपनाय
न मिले निवाला गर सरकंडे भख खाय
जो बीत रही उनपर नर्प को न बतलाय
मिले फ्री भोजन, न धुआ रहित हो जाय
पके भले&nb
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