पूंजीवाद's image
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लाख करोड की आशा मे सर ज़मीं न धर जाये
भविष्य बनाने को ये कहीं जीते जी न मर जाये 
कुछ धन बच जाये तो, इनकी सुध भी लेलेना 
पौष्टिक हो न  हो पर तुम, एक निवाला देदेना

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