Share2 Bookmarks 217972 Reads5 Likes
मंजिल तुम्हें गर जो पानी हो
करो निर्धारित लक्ष्य को तुम
दृष्टि गड़ा दो लक्ष्य पे ज्योंही
कर निश्चय पग बढ़ा दो तुम
फूलों के संग में ही कांटे होते
कांटो संग में ही ख़ुशबू होती
पास ख़ुशबू तक गर जाना हैं
तो कांटो पर चल जाना है
दीपक के संग ज्योति होती
ज्योति के संग अंगारे होते
अंधकार गर है मिटाना तो
ज्योति जस जल जाना है
गर रौशन किस्मत करनी है
दीपक जस तो जलना होगा
मंजिल जो गर पानी हो तो
कर्म-
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments