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Romantic PoetryPoetry1 min read

कभी ऑन कभी ऑफ लाइन हो जाते हो

ashish.kumarmomashish.kumarmom November 6, 2021
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कभी ऑन कभी ऑफ लाइन हो जाते हो 
कभी प्राइवेसी तो कभी डीपी भी हटाते हो 
देख बेरुखी दोस्तो को तो निराशा होती है  
दीवानो की तो और भी वाट लग जाती है

दर्द भरी इस दुनिया में अब भी बाज न आते हो 
देख परछाई तेल में अंख बिच तीर चलते हो 
इस फरेबी दुनिया में ही अर्जुन को भी लजाते हो 
दर्द पे दर्द दे दे के प्यार का मजाक उड़ाते हो

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