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जीवन
खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की।
बस लोग मुझे पहचानते रहे काफी है।
अच्छे अच्छा और बुरे बुरा ही काहेंगे ।
क्योंकि जिसकी जितनी जरुरत हो हमसे
वो उतना ही पहचाने मेरे लिये काफी है
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा भी कितना अजीब
शामें कटती नहीं, और साल गुज़र रहे ..!!
एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी,
जीत जाओ तो अपने पीछे छूट जाते हैं,
और हार जाओ तो अपने ही छोड़ देते हैं।
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
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