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दीपो पे दीप जले रात कभी न काली हो
अंधकार मिट प्रकाश भरी की दीवाली हो
इतने हिय से दीप जले, नभ तक छाई लाली हो
अन्य धन की बर्षा हो, न खाली किसी थाली हो
मन मस्तिष्क के द्वेष मिटे, भरी सभी की झोली हो
खुशियों भरी एक सांझ सजे
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