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चाहत भी बुरी चीज है यारो
चाहती उसे ही जो न चाहे इसे
चाहत भी बुरी चीज होती है यारो
न कर सके दिल से दूर कोई
अदृस्य भावनाओ में बहती यारो
हम कर ले लाख कोसिसें मगर
उसको दिल से जुदा न करती है यारो
न जोर चलता है इसपे किसी का
दरिया कि धार सी बहती यारो
समझाता है दिल बारम्बार इसको
फिर भी न समझ सी रहती है यारो
करी कोसिसे हो जाती है बेकार
समुद्र को लहरों सी बहती यारो
जो चाहे इसे उसको न चाहेगी ये
पड़त न फर्क किसी बात से यारो
चाह कर भी न छोड़सकता कोई
काल्पनिक विचारो में बहती यारो
जैसे रहता डूबा मोती गहरे पानी में
वैसे दिल कि दरिया डूब जाती है यारो
खोजने से भी न खोज सकता है कोई
किसी की चाह मे ऐसे बहती है यारो
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