बचपन की मासूमियत's image
Poetry1 min read

बचपन की मासूमियत

ashish.kumarmomashish.kumarmom March 12, 2023
Share0 Bookmarks 31248 Reads1 Likes
"जो उम्र थी जिन्दगी लुत्फ़ मुस्कुराने मे" !
"बाकी बची गुजरे  शायद सिस्कराने मे" !

त्रप्त  होती थी इन्द्रिया तब  सताने मे, 
मन हर्ष से हर्षता फिर फिर मनाने मे..I
यही थी उम्र उल्लासी  लुत्फ़ लेने क

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts