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बचपन की मासूमियत

ashish.kumarmomashish.kumarmom March 12, 2023
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"जो उम्र थी जिन्दगी लुत्फ़ मुस्कुराने मे" !
"बाकी बची गुजरे  शायद सिस्कराने मे" !

त्रप्त  होती थी इन्द्रिया तब  सताने मे, 
मन हर्ष से हर्षता फिर फिर मनाने मे..I
यही थी उम्र उल्लासी  लुत्फ़ लेने की,
गुजरे पल शायद न आयेंगे ज़माने मे..II

वर्षा भीगी मिट्टी को दुजे पीठ रगडने मे,
खेल  खेल  मे लड़ने  और  झगड़ने मे ..I
खुद सैतानी कर के दुजे हंसी उड़ाने मे,
गुजरे पल शायद न आयेंगे ज़माने मे ..II

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