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 "आधुनिकीकरण"

सौर्य स्वर्णिम रचना जो प्रभु 
धूधू धुमिल  अब होती जाय 
सुखी  भविष्य के लोभन म
कल  पे आज को  देई  गमाय 

प्रभु कह पथ भूलि भालि के 
जस जग मानव ज्ञान  बढ़ाय
जीवन रक्षक छोंडि छांडि के 
बिशुद्

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