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सच को सबुतों के कठघरे में देख
अब झूठ मुस्कुराता है
यक़ीनन अब
नफरतों को कोई गवाह नहीं
बल्कि मोहब्बतों को सुबूत चाहिए
अब झूठ मुस्कुराता है
यक़ीनन अब
नफरतों को कोई गवाह नहीं
बल्कि मोहब्बतों को सुबूत चाहिए
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